पिछले कुछ वर्षों में सहकारिता आंदोलन में युवाओं और महिलाओं की भूमिका पूरी तरह से बदल रही है। इसकी वजह से सहकारिता में नवाचार और नए उद्गमों का संचार हुआ है। युवाओं और महिलाओं की बढ़ती भागीदारी से सहकारिता क्षेत्र में अभूतपूर्व परिणाम सामने आ रहे हैं, जिसने तेजी से बदल रही दुनिया में इस क्षेत्र के महत्व को और अधिक बढ़ा दिया है। भारतीय सहकारिता आंदोलन को मजबूती प्रदान करने एवं इसे ग्रामीण समाज के आर्थिक एवं बुनियादी विकास का आधार बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘सहकार से समृद्धि’ की संकल्पना की है। ‘सहकार से समृद्धि’ के संकल्प को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने अनेक उल्लेखनीय पहल की हैं जिनमें नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति तैयार करने का महत्वपूर्ण कदम भी शामिल है। नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति का उद्देश्य ‘सहकार से समृद्धि’ की परिकल्पना को साकार करना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास करना, बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर प्रदान करना और देश में सहकारी आंदोलन को सशक्त बनाना है। सहकारिता आधारित आर्थिक विकास मॉडल का संवर्द्धन कर सहकारिता क्षेत्र को उसकी क्षमता हासिल करने में सहायता करना और सहकारिता क्षेत्र के लिए नीतिगत, कानूनी और संस्थागत अवसंरचना का निर्माण करना भी इस नीति का मकसद है। सहकारिता क्षेत्र का प्रभाव देश में व्यापक रूप से बढ़ रहा है। सहकारी क्षेत्र के विकास पर ही देश का विकास निर्भर है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में भारत सरकार सहकारी आंदोलन को निरंतर गति, विस्तार एवं दिशा दे रही है। भारत की अर्थव्यवस्था में सहकारी क्षेत्र की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है इसे इस बात से भी बखूबी समझा जा सकता है कि देश में 29 करोड़ सदस्यों के साथ 8.5 लाख से अधिक सहकारी समितियां हैं। केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय की स्थापना के बाद पिछले तीन वर्षों में सरकार ने दूरगामी महत्व के बहुत से बदलाव किए हैं। इनसे ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है। नई सहकारिता नीति में सभी के लिए भागीदारी सुनिश्चित की गई है। खासकर युवाओं और महिलाओं के लिए अवसरों के नए द्वार खुलेंगे। यह न केवल उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध बनाएगा, बल्कि उनमें सहकारिता की भावना भी मजबूत होगी। सहकारिता के मौजूदा मॉडल में आबादी के ये दो महत्वपूर्ण हिस्से नदारद थे। युवा आबादी के लिए अवसरों के ज्यादा से ज्यादा द्वार खोलने और सकारात्मक उत्पादकता के साथ उनकी ऊर्जा का इस्तेमाल करने के लिए जरूरी है कि उनके अनुकूल नीतियां बनाई जाएं। नई नीति के माध्यम से सहकारिता क्षेत्र को व्यवस्थित करने और ग्रामीण क्षेत्रों के चौतरफा विकास में भी मदद मिलेगी। लेखक: प्रकाश चंद्र साहू