बिहार भारत के शीर्ष पांच सब्जी उत्पादक राज्यों में शामिल है। यहां आलू, प्याज, बैंगन फूल गोभी आदि कई सब्जियों का उत्पादन होता है। गंगा की तलहटी में होने के कारण यहां के कई क्षेत्रों की जमीन सब्जियों की अच्छी पैदावार के लिए मुफीद है। लेकिन सब्जी उत्पादकों के लिए कई अनुकूल परिस्थितियां होने के बाद भी किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य नहीं मिल पाता था, और सब्जी उत्पादन किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित होता था। किसानों को सब्जियों का उचित मूल्य दिलाने और उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए बिहार सरकार ने वेजफेड, बिहार राज्य सब्जी प्रसंस्करण और विपणन योजना शुरू की, यह एक कोऑपरेटिव फर्म है जिसके मालिक खुद किसान ही होते हैं। वर्ष 2017 में शुरू की गई इस योजना से बिहार सरकार ने सहकारिता के माध्यम से असंगठित सब्जी बाजार को एक संगठित बाजार में बदल दिया है। वेजफेड के तहत सभी किसान मिलकर ब्लॉक स्तर पर प्राइमरी वेजिटेबल कोऑपरेटिव सोसाइटी (पीवीसीएस) बनाते हैं यह सारे पीवीसीएस मिलकर यूनियन बनाते हैं और यह सारी यूनियन मिलकर राज्य में वेजफेड या वेजिटेबल फेडरेशन बनाती हैं। इस योजना का उद्देश्य राज्य में उत्पादित सब्जियों का विपणन करके ब्रांड तरकारी के माध्यम से एक विश्वसनीय ब्रांड स्थापित करना है। वहीं पीवीसीएस का मुख्य उद्देश्य किसान सदस्यों से सब्जियों का संग्रह और प्राथमिक प्रसंस्करण करके उन्हें अपने संबंधित संघों को आपूर्ति करना है, ताकि किसानों को उनका उचित पारिश्रमिक सुनिश्चित किया जा सके। हर थाली में बिहारी तरकारी वेडफेड की प्राथमिकता है, इसके साथ ही वेडफेड का उद्देश्य उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर ताजी सब्जियां उपलब्ध कराना है। सब्जियों के विपणन के लिए त्रिस्तरीय संरचना सब्जियों के प्रसंस्करण और उचित मूल्य के लिए एक त्रिस्तरीय स्थाई मॉडल तैयार किया गया। पहले चरण में प्रमुख जगहों पर आउटलेट्स बनाए गए, सब्जियों के विपणन के लिए डोर टू डोर व्यवस्था की गई, मोबाइल रिटेल वैन से सब्जियों को घरों तक पहुंचाया गया, इसके साथ ही डिजिटलीकरण का प्रयोग करते हुए सब्जियों की ऑनलाइन बुकिंग की सेवा भी शुरू की गई। इस तरह एक मजबूत आपूर्ति श्रंखला बनाई गई। थोक विक्रेता क्योंकि सीधे पीवीसीएस से सब्जियां खरीदते हैं इसलिए उसी दिन बैंक के माध्यम से सब्जियों का भुगतान सीधे किसानों के खाते में कर दिया जाता है। प्रत्येक पीवीसीएस पर सब्जियों की छंटाई, सफाई और ग्रेडिंग की जाती है, ताजी सब्जियों के अस्थाई भंडारण के लिए परिसर में ही दस मिट्रिक टन मल्टी कोल्ड स्टोरेज चेंबर सुविधा की जाती है, यहां से सभी सब्जियों को यूनियन को भेजा जाता है, यूनियन से सब्जियों को राज्य और अन्य राज्यों को भेजा जाता है। यह सारा सिस्टम ऑनलाइन संचालित होता है, जिससे संस्थाओं को यह पता होता है कि कितनी सब्जियों का उत्पादन हो रहा है और बाजार में उसकी कितनी मांग है। सफल आउटलेट्स में भी वेजफेड की तरकारी वर्तमान में वेजफेड ने कुछ बड़े संस्थान जैसे सफल को भी सब्जियों की आउटसोर्सिंग शुरू की है। वेजफेड की इस योजना से राज्य के युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान हो रहे हैं, प्रसंस्करण और कोल्ड स्टोरेज की सुविधा से किसानों की सब्जियां बेकार होने से बच रही हैं। केवल सब्जियों की खरीददारी ही नहीं वेजफेड किसान क्रेडिट कार्ड, खाद, उन्नत बीज, सही दवा आदि का भी प्रशिक्षण देता है। इससे न केवल सब्जी उत्पादन की लागत में कमी आती है बल्कि किसान सब्जियों के उत्पादन के लिए कर्ज लेने के भी मजबूर नहीं होते। 50,000 सब्जी उत्पादक किसान बने सदस्य वेजफेड द्वारा सब्जियों के लिए तैयार मंच का फायदा सब्जी विक्रेताओं को खूब हो रहा है, खरीदार मिलने की वजह से बिहार मे अब सब्जी किसान बढ़चढ़ कर इस योजना में शामिल हो रहे हैं। बिहार में अब तक 20 जिलों में 321 सब्जी सहकारी समितियों का गठन किया जा चुका है। इन 321 सब्जी उत्पादक समितियों में लगभग 50,000 सब्जी उत्पादक सदस्य किसान इन समितियों के सदस्य हैं। वेजफेड का उद्देश्य राज्य में सब्जी उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि, उत्पाद के प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग द्वारा मूल्य संवर्धन करना, मांग के अनुसार ताजी गुणवत्ता परक सब्जियों की आपूर्ति करना, रोजगार के अवसर पैदा कर सब्जी उत्पादकों की आय में वृद्धि करना, व्यवसथा से बिचौलियों को खत्म करना, व्यवसाय की खुदरा बिक्री के लिए रिटेल दुकानों की स्थापना, संघ स्तर पर केंद्रीय सब्जी प्रसंस्करण केंद्र का निर्माण करना और पीवीसीएस स्तर पर केंद्रों और विपणन के बुनियादी ढांचे को स्थापित करना है। हर थाली में बिहारी तरकारी टैग लाइन के साथ वेजफेड इन सब्जियों को देश के कोने कोने तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।