भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश में रोजगार के नए-नए अवसर पैदा करना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। इसे लेकर समय-समय पर हंगामा मचता रहता है। सच्चाई यह भी है कि सरकार सबको नौकरी नहीं दे सकती और निजी क्षेत्र घरेलू या वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती आते ही छंटनियों का दौर शुरू कर देता है जिससे समस्या और बढ़ जाती है। ऊपर से नई-नई टेक्नोलॉजी ने भी नई नौकरियों के लिए चुनौती पैदा की है। स्वरोजगार को लेकर भी अभी भारतीय युवाओं की मानसिकता उस तरह की नहीं बन पाई है, जैसी जरूरत है। खासकर, मध्यवर्गीय युवा पढ़-लिख कर स्वरोजगार की बजाय नौकरी करना ज्यादा पसंद करता है। हालांकि, इस मानसिकता में बदलाव हो रहा है लेकिन इसकी गति बहुत धीमी है। जो युवा स्वरोजगार करना भी चाहते हैं उन्हें पूंजी की समस्या से लेकर मार्केटिंग तक तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जिससे कई बार वह भी इसे छोड़कर नौकरी करना ज्यादा आसान समझते हैं। ऐसे में सहकारिता क्षेत्र ने रोजगार और स्वरोजगार को लेकर नई आशाएं जगाई हैं। सहकारिता क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने की पूरी क्षमता है। सरकार का भी जोर सहकारिता के माध्यम से समृद्धि बढ़ाने पर है। सहकारी समितियों के कार्यक्षेत्र का विस्तार होने के बाद शहरी और ग्रामीण दोनों स्तरों पर युवाओं के लिए नए अवसर उत्पन्न हुए हैं। इनमें जन औषधि केंद्र से लेकर पेट्रोल व गैस पंप, रसोई गैस एजेंसी और कॉमन सर्विस सेंटर जैसे क्षेत्रों में रोजगार उत्पन्न हो रहे हैं। विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना, डेयरी एवं फिशरीज और सहकारिता में सहकार को बढ़ावा देने के सरकार के कदमों से रोजगार की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। हालांकि, इन प्रयासों के नतीजे आने में अभी समय लगेगा। लेकिन यह भी तथ्य है कि अगर सहकारी क्षेत्र में इन प्रयासों को पूरी गंभीरता से अमल में लाया गया तो यह ग्रामीण क्षेत्रों से युवाओं के पलायन को रोकने में भी मददगार साबित होगा। डेयरी क्षेत्र में अगले पांच वर्षों में जहां नई डेयरी सोसायटियों का गठन कर उसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का संकल्प सरकार ने व्यक्त किया है, वहीं मत्स्य क्षेत्र में इसका प्रसार किया जाएगा। दुग्ध उत्पादन में कोऑपरेटिव सेक्टर की भागीदारी 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है, जिसके लिए प्रत्येक गांव तक डेयरी सहकारी सोसायटी के गठन पर जोर दिया गया है। इसके लिए श्वेत क्रांति 2.0 लांच कर दी गई है। सहकारिता में सहकार की भावना के तहत कोऑपरेटिव बैंकों को मजबूत बनाने की पहल की गई है। इसके तहत सभी सहकारी संस्थाओं का खाता कोऑपरेटिव बैंकों में खोलने का निर्देश दिया गया है। गुजरात में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस योजना को लागू करने के बाद अब इसे पूरे देश के लिए लागू कर दिया गया है। नेशनल युवा कोऑपरेटिव सोसायटी (एनवाईसीएस) स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार के साथ मिलकर कौशल विकास के कई कार्यक्रम चला रही है। इसका फायदा निश्चित तौर पर युवाओं को मिल रहा है। एनवाईसीएस का ध्येय युवा विकास से राष्ट्र का विकास करना है। युवाओं का कौशल विकास करने से न केवल उनके जीवन में समृद्धि आएगी, बल्कि वे विकसित भारत के संकल्प को साकार करने में भी भागीदार बन सकेंगे। लेखक: चंद्रप्रकाश साहू